“My journey from Blue City – Jodhpur to Silicon Valley – Bengaluru”

October 2 has a special significance for me in my life apart from the fact that our two great leaders were born on this day. The day has its own added importance through Swachh Bharat Abhiyan. We relocated from Jodhpur to Bengaluru on this day as my husband got transferred.  We had travelled by train due to excess luggage. It was my first longest journey where we had to break the journey by taking two more trains. We started on 1st October at 6:00 am and our first halt was in  Mumbai

Lucknow-Delhi Shatabdi Express – India's first premium train to be run by private players

Our next scheduled departure from Mumbai was at 10:00 pm so we decided to explore the city. We spent the whole day moving around. For the first time in life, my daughter and I got an opportunity to enjoy the sea beach at Juhu. It was amazing to feel the waves caressing our feet. We were awestruck by the high waves rising in the sea followed by visits to Chowpatty, chota Kashmir – a popular shooting location for movies. We had a lot of fun throughout the day. Also, we tasted the local delicacies like vada pav, pav bhaji etc.

As per the schedule, we boarded the train at 10:00 pm. My 5 years old daughter used to ask repeatedly “When shall we reach Bangalore?” 

We finally reached our destination at 11:00 pm, where we were given a warm welcome by Air Force officers who got to work with my husband in Bangalore in spite of heavy rain. We quickly loaded our luggage in the Airforce vehicle and left for Yelahanka AirForce Station

After posting, it’s like the celebration which continues for about four to five days. We got a chance to meet and understand each other’s family. Children enjoyed making new friends as they acclimatise at new places. We found officers and soldiers across all the states of India. People help each other like a family when we are in trouble, so they never miss their family. 

I got an opportunity to teach Hindi. Time flew and now it has been many years in this profession where I worked at many schools and colleges. I also learnt to speak the local language – Kannada, as I was residing in Bangalore.

Now, when I observe my workplace – I get to see the mini India here. As it is a confluence of people from various states and cultures like Kerala, West Bengal, Tamil Nadu, Odisha, Assam, Mizoram, Nepal, Andhra Pradesh, Uttar Pradesh, Haryana, Rajasthan, Delhi, etc.

People are like flowers, blooming in the garden city who come looking for their livelihood and get settled here.

जोधपुर से बैंगलोर तक मेरी कहानी  मेरी ज़ुबानी 

2 अक्टूबर का दिन हमारे सबके लिए ही विशेष है | हमारे दो महान नेताओं का जन्म इसी दिन हुआ है और अब स्वच्छ भारत अभियान के रूप में इसे मनाया जाता है |लेकिन यह दिन मेरे लिए कुछ अलग ही महत्व रखता है| 2 अक्टूबर के दिन मेरा परिवार पहली बार बैंगलोर पहुंचा | मेरे पति का ट्रांसफर जोधपुर से बैंगलोर हुआ और हमें जोधपुर से बैंगलोर आना था | सामान कुछ ज्यादा होने के कारण इस बार हमें यह यात्रा ट्रेन से करनी थी | यह मेरी पहली इतनी लंबी यात्रा थी | इसमें भी हमें दो ट्रेनें बदलना थीं | पहली ट्रेन जोधपुर से बॉम्बे तक थी |

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 1अक्टूबर 6 A.M.हम बॉम्बे पहुंच चुके थे | हमने  पूरा दिन बॉम्बे में बिताया | बॉम्बे से ट्रेन 10 P.M.की थी| हमने अपना सामान होटल में रखा और बॉम्बे घूमने के लिए निकल पड़े | हम बॉम्बे के जुहबीच,चोपाटी ,और कई जगहों पर घूमा | जीवन में मैंने और मेरी बेटी ने  पहली बार समुद्र बीच  देखा था | समुद्र में उठती हुई ऊँची –ऊँची लहरें कितना आनंद देती हैं|  मिनी कश्मीर जहाँ फिल्मों की शूटिंग होती है | हमने पूरे दिन बहुत मजा किया |नारियल पानी , चाट , बहुत कुछ खाया, जो अक्सर नार्थ इंडिया में नहीं मिलता है |

और रात के 10 बजे हम आकर अपनी ट्रेन बैठ गये | रात तो सोने में बीत  गयी | 2 अक्टूबर की सुबह से ट्रेन चल रही थी | और मेरी बेटी जो 5 वर्ष की थी उस समय  एक ही प्रश्न पूछती थी | बैंगलोर कब आयेगा ? 

हमारी ट्रेन रात के लगभग 11बजे बैंगलोर सिटी रेलवे स्टेशन पर पहुंची वहाँ पहले से ही मेरे पति की एयर-फ़ोर्स की मित्र मंडली   हमें रिसीव करने के लिए आई हुई  थी| उस रात बैंगलोर में बहुत बारिश हो रही थी | जल्दी से हमारा सामान एयर-फ़ोर्स की गाड़ी में रखा और हम सभी उसमें  बैठकर यहलंका एयरफोर्स स्टेशन के लिए रवाना हो गए | 

जैसा की एयर-फ़ोर्स में पोस्टिंग आने पर चार -पांच दिन मित्रों के यहाँ दावत रहती है  हम सभी एक परिवार की तरह से  रहते हैं | एक साथ रहना किसी त्यौहार से कम नहीं होता | पोस्टिंग आने पर बच्चों के भी नये दोस्त बनते हैं | और वे भी खूब आनंद लेते हैं |अंदर कैंप में भारत के लगभग सभी राज्यों से आये ऑफिसर और जवान रहते हैं | मुसीबत में सभी एक दूसरे का साथ देते हैं| और कभी अपने परिवार को छोड़ने की कमी महसूस नहीं होती | समय तो जैसे पंख लगाकर उड़ गया |कितने ही वर्षों से में बैंगलोर में हिंदी पढ़ा रही हूँ | मैंने यहाँ रहते कन्नड़ भाषा भी सीखी |और कितने ही लोगों को हिंदी सिखाई |           

आज जब में  अपने कार्य स्थल पर  सुबह –सुबह आती हूँ तो मुझे यहाँ भी वही मिनी इंडिया नजर आता है | भारत के अनेक राज्यों से आकर यहाँ सभी काम करते हैं जैसे इस बाघों के शहर में  पूरे  भारत के राज्यों के फूल   खिलते दिखाई देते हैं और यह एक भारत का गुलदस्ता है | कोई केरल से  बंगाल, तमिलनाडु ,उड़ीसा ,असम ,मिज़ोरम ,नेपाल ,आंध्रप्रदेश ,उतर-प्रदेश ,हरियाणा ,राजस्थान ,दिल्ली ,और भी राज्यों से आये हुए लोग  यहाँ काम करते  हैं | और अपनी जीविका का साधन यहाँ पाते हैं |

DR. SUMAN KAUSHIK
Ph. D. (Hindi), M.Phil. (Hindi), M.A (Hindi).
Assistant Professor,
Koshys Institute of Management Studies.

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